Page 6 - Oct-Dec 2013
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                             अशोक                                                    गभुड़मार
                                                                              ़
             अशोक वृषि के  पत्तों में बै्िीररयारोधी गुण होते हैं। यह       गुडमार को एक चमतकारी िि के  रूप में जाना
                        बुखार, सददी, और संक्रमण से िड़ने में                    जाता है। इसे ‘शक्म रा नाशक’ या ‘चीनी
                         सहायक है। इस पेड़ से तनकिा मे्नॉि                     ववधवंसक’ के  रूप में जाना जाता है। यह
                           अक्म  संधधवात गहठया के  उपचार में                   भारत के  उ्णकहिबंधीय जंगिों में बढ़ता
                           उपयोगी है। इस पेड़ के  अक्म  से बनी                 है और धचककतसा की पारंपररक प्रणािी में
                            एक औषधध का प्रयोग गभा्मशय में                      2000 से अधधक वषषों से इसतेमाि ककया
                          संक्रमण का इिाज करने के  लिए ककया                 जाता रहा है। मधुमेह के  इिाज के  लिए इसका
                                    जाता है।                              प्रयोग ककया जाता है और इसे कवक-रोधी गुणों के
                      अननया धचनाब, कक्ा छः, ददल्लली पब््लक सक ू ्ल, सेकटर        लिए जाना जाता है।
                             45, गभुड़गांि
                                                                       रोहन सेठी, कक्ा सात, गिाम्लयर ग्लोरली हाई सक ू ्ल, गिाम्लयर


                           जामभुन                                                        ब्ाहमी

          आयुववेद में  जामुन के  िि का प्रयोग कि और वपत्त से                   ब्ाहमी को एक तंत्त्का बिवध्मक के  रूप में
        संबंधधत बीमाररयों के  इिाज के  लिए  ककया जाता है।  यह                   और तनाव से राहत के  लिए एक शामक
         जजगर शज्तवध्मक, शीतिक और पाचक के  रूप में प्रयोग                       के  रूप में प्रयोग ककया जाता है। इसकी
                     ककया जाता है। इसके  हाइपोगिाइलसलमक                         पवत्तयों का अक्म  बािों के  िॉतनक और तेि
                      गुण का प्रयोग र्त शक्म रा को कम करने                      बनाने के  लिए इसतेमाि ककया जाता है।
                         के  लिए ककया जाता है। इसका िि
                        लसदध धचककतसा प्रणािी में प्रयोग ककया                  भभुिनेशिरली एम., कक्ा नौ, श्ी शेषास इंटरनेशन्ल पब््लक
                                   जाता है                                              सक ू ्ल, से्लम
                        योधगता, कक्ा आठ, मभुक भुं द ्ला्ल पब््लक सक ू ्ल,
                                  यमभुनानगर

                                                                                     सप्वगंिा

                               पीप्ल                                               इसके  पत्ते हरे होते हैं। यह पौधा
                                                                                   वयज्त को शांत और तनम्मि बनाता
                           पीपि के  वृषि का अतयधधक औषधीय                             है। सिे द ि ू ि में बैंगनी आभा
                            मू्य है। इसकी पवत्तयां रेचक औषधध                        लिए होते हैं। यह जड़ी बूिी कीड़े
                            और शरीर के  लिए बिवध्मक का काय्म                        के  कािने पर उभरे चकत्तो के  लिए
                            करती हैं। यह पीलिया से पीडड़त िोगों                             िाभकारी है
                             के  लिए ववशेष रूप से उपयोगी है।                      सभया गुपता, कषिा पाँच, बाि भारती पजबिक
                           इसका प्रयोग गिसुआ और कई तवचा                            सक ू ि, रोहहणी, हद्िी
                           ववकारों के  उपचार के  लिए भी ककया
                              जाता  है।
             तनक भुं ज गोय्ल, कक्ा सात, िी. िी. डी. ए. िी. पब््लक सक ू ्ल, विकासपभुरली,
                               नई ददल्लली
                                                                                        अमरंथ

                                   दारुहररद्                                       अमरं् भारत में पाई जाने वािी एक
                                                                                     जड़ी बूिी है। वनसपतत ववज्ातनयों
                          दारुहररद्र एक प्रलसदध आयुववेहदक जड़ी बूिी है                के  अनुसार इस पौधे की पवत्तयों
                             जजसका प्रयोग वैहदक काि से ककया जा                        और बीजों में अतयंत पोषक ततव
                              रहा है। यह तवचा, कान, नाक और गिे                       पाए जाते हैं। इसमें कािी मात्ा में
                              से संबंधधत बीमाररयों के  इिाज के  लिए                   प्रोिीन, कै ज्शयम, िोलिक एलसड
                             उपयोगी है। यह भी चयापचय को तनयंत्त्त                   और वविालमन सी पाया जाता है और
                              करता है, और जजगर सवास्थय को बनाए                    यह ऊजा्म का एक बह ु त अचछा स्ोत है।
                              रखता है। यह ववषा्तता के  लिए एक
                                    प्राक ृ ततक उपचार है।                    शशांक शंकर, कक्ा पाँच, सकॉ्लस्व होम, देहरादून
                        मशिानी नेगी, कक्ा नौ, रक्ा अनभुसनिान विदया्लय, देहरादून



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