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भारत में परंपरागत दिाओं का इततहास प्ाचीन का्ल से पता ्लगाया जा सकता है। िासति में भारत चमतकारली इ्लाज और उपचार
की भूमम होने के म्लए जाना जाता है।
धचककतसा की कहानी चरक संदहता और सभुश्भुत संदहता
भारतीय धचककतसा का इततहास बह ु त पुराना है। इसकी आरंलभक 800 ईसा पूव्म से 1000 तक भारतीय धचककतसा पदधतत का ‘सवण्म
अवधारणाएँ वेदों में दी गई हैं। ववशेष रूप से अ्व्मवेद में जो दूसरी युग’ माना जाता है। इस काि में दो धचककतसा ग्रं् लिखे गए -
सहस्ाबदी ई.पू. के हैं। चरक संहहता और सुश्ुत संहहता, जजसका श्ेय चरक एक धचककतसक,
और सुश्ुत एक श्यधचककतसक को जाता है।
मौय्म और गुपत काि के दौरान, भारतीय धचककतसा अपने चरम
पर पह ु ंच गई ्ी। मुगि काि में यूनानी धचककतसा प्रणािी चरक संहहता में िगभग 500 औषधीय पौधों का उ्िेख है और
ववकलसत ह ु ई। मुगि शासकों और सामंतों ने कई असपताि सुश्ुत संहहता में िगभग 760 औषधीय पौधों का उ्िेख है।
स्ावपत ककए। शासत्ीय संसक ृ त में लिखे ये धचककतसीय ज्ानकोश आयुववेद के
मूिभूत और औपचाररक रूप से संकलित दसतावेज हैं।
भारत में अंग्रेजों के आगमन के सा्, आधुतनक धचककतसा के नए
रूप सामने आए और एिोपैध्क दवाओं का वच्मसव स्ावपत ह ु आ। िैयाांश डांगरा, कक्ा नौ डी, ऑ्ल सेंटस सीतनयर सेक ें डरली सक ू ्ल, अजमेर
यूनानी धचककतसा
मसदि धचककतसा
यूनानी धचककतसा मूित यूनानी−अरबी है और इसका ववकास िारस में
लसदध धचककतसा प्राचीनतम धचककतसा पदधततयों में से एक है। इसकी
980 ई. के आसपास ह ु आ ्ा। इस उपचार प्रणािी के संबंध में हकीम
उतपवत्त तलमिनाडु राजय में ह ु ई। लसदध शबद की उतपवत्त लसदधी से ह ु ई
इबन लसना ने वयापक ज्ान एकत् ककया। भारत में इस प्रकार की
जजसका अ््म है प्रवीणता प्रापत करना। ववशव लसदध हदवस 14 अप्रैि
धचककतसा पदधतत के धचककतसक एक योगय डॉ्िर के रूप में धचककतसा
को मनाया जाता है
कर सकते हैं।
पररधि अग्रिा्ल, कक्ा दसिीं, ददल्लली पब््लक सक ू ्ल, मारुतत क भुं ज, गभुड़गांि
यूनानी धचककतसा के एक उतक ृ ्ि धचककतसक और ववदवान, हककम
अजमि खान (1868-1927), ने भारत में यूनानी प्रणािी का प्रचार
ककया।
क कृ ष्ण प्काश, नौ, विशाखा िै्लली सक ू ्ल, विसाखापटनम
प्राक ृ ततक उपचार
कया आप जानते हैं ?
सदाबहार,
1920 में नागपुर में ह ु ए भारतीय रा्ट्ीय कांग्रेस सममेिन में चरक और सुश्ुत
लसिाररश की गई कक आयुववेद को रा्ट्ीय धचककतसा प्रणािी
के रूप में अपनाया जाए, और 1921 में महातमा गांधी के शुदध उपहार ।
ने हद्िी में आयुववेहदक और यूनानी ततजबबया कॉिेज का
उदघािन ककया।
ज़रा सोधचए
क्पना कीजजए कक आप चरक के सहायक है।
आपने उनहें कौन सी जड़ी बूहियों का प्रयोग करते
ह ु ए देखा और उनहोंने उसे ककस रोग के उपचार के
लिए इसतेमाि ककया? इसके अिावा, यह भी सोचें
कक वह कौन भागयशािी होगा जजसका उपचार करना
वह पसंद करते?
धचत्ांकन: जी रजशम, कषिा दस, भारतीय ववदया भवन पजबिक सक ू ि, हैदराबाद
पृ्ठभूलम का धचत्ण: सागररका अग्रवाि, कषिा छः, हद्िी पजबिक सक ू ि, से्िर 45, गुड़गांव
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